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DOI: https://doi.org/10.63345/ijre.v12.i12.1
शुभदा कुमारी
रवीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय
भोपाल, मध्य प्रदेश
प्रो० (डॉ०) किरण मिश्र
प्रोफेसर एवं संकायाध्यक्ष,
शिक्षा संकाय,
रविन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय,
भोपाल।
प्रो० (डॉ०) संजय भूड़ियां
प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष,
शिक्षा संकाय,
जमशेदपुर महिला विश्वविद्यालय,
जमशेदपुर, झारखंड।
संक्षेप
माध्यमिक स्तर पर छात्रों की शैक्षिक उपलब्धि उनके भविष्य की शैक्षिक प्रगति और व्यावसायिक जीवन की नींव निर्धारित करती है। इस स्तर पर प्रयुक्त शिक्षण विधियाँ विद्यार्थियों की सीखने की क्षमता, रुचि, और उपलब्धि को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करती हैं। प्रस्तुत शोध का उद्देश्य विभिन्न शिक्षण विधियों—जैसे व्याख्यान पद्धति, प्रश्नोत्तर पद्धति, सहकारी अधिगम, परियोजना कार्य तथा गतिविधि-आधारित शिक्षण—का विद्यार्थियों की शैक्षिक उपलब्धि पर प्रभाव का अध्ययन करना है। अध्ययन में यह परखा गया कि कौन-सी विधियाँ संज्ञानात्मक (ज्ञानात्मक), भावात्मक तथा क्रियात्मक पक्षों पर अधिक प्रभावी सिद्ध होती हैं।
शोध पद्धति के अंतर्गत मात्रात्मक दृष्टिकोण अपनाया गया, जिसमें माध्यमिक स्तर के विद्यार्थियों के एक नमूने पर विभिन्न शिक्षण विधियों के प्रयोग से प्राप्त अंकों और व्यवहारगत परिवर्तन का तुलनात्मक विश्लेषण किया गया। डेटा संकलन हेतु उपलब्धि परीक्षण और प्रेक्षण तकनीक का प्रयोग किया गया।
प्रारंभिक निष्कर्ष संकेत करते हैं कि पारंपरिक व्याख्यान-आधारित शिक्षण विधि केवल स्मृति-आधारित अधिगम तक ही सीमित रहती है, जबकि सहकारी अधिगम और परियोजना-आधारित पद्धतियाँ विद्यार्थियों में गहन समझ, आलोचनात्मक चिंतन, और रचनात्मकता विकसित करने में सहायक होती हैं। इसके अतिरिक्त, गतिविधि-आधारित शिक्षण विद्यार्थियों की सहभागिता और रुचि बढ़ाने में अत्यधिक प्रभावी पाया गया।
इस शोध से यह स्पष्ट होता है कि माध्यमिक स्तर पर बहुविध शिक्षण रणनीतियों का प्रयोग विद्यार्थियों की शैक्षिक उपलब्धि को बढ़ाने का एक सशक्त साधन है। परिणाम शिक्षक-प्रशिक्षण कार्यक्रमों और शिक्षा नीति निर्धारण के लिए उपयोगी हो सकते हैं।
संकेतशब्द
माध्यमिक शिक्षा, शिक्षण विधियाँ, शैक्षिक उपलब्धि, सहकारी अधिगम, गतिविधि-आधारित शिक्षण, परियोजना कार्य
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